तुम मंजिल पाने की सोचो,
पांव के छाले मत देखो।
राह में कांटा हो या पत्थर,
ऐसे मतवाले मत देखो।।
सुभाष, आजाद, भगत सा,
गांधी बनने की सोचो।।
उड़ जाएं बधाएं ऐसी,
आंधी बनने की सोचो।।
नजर हो चिड़िया की आंख पे,
पेड़ निराले मत देखो।। तुम मंजिल, , , , ,
रूके न हम झुके न हम,
हमारे इरादे फौलादी हों।
जिन्दगी के कदम कदम पेश,
हम दुख सहने के आदी हों।
सूरज की रोशनी बन निकलो,
बादल काले मत देखो।। तुम मंजिल, , , , ,
ऐसा कुछ काम करो जग में,
कि कोई भूखा न सोए।
हर इंसान सुखी हो धरती पर,
कोई दुख से न रोए।
बांट दो सबमें भाई अपने,
लिए निवाले मत देखो।। तुम मंजिल, , , , ,
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई,
सबमें हो भाईचारा।
आपस में बैर रखने से,
न कोई जीता न हारा।।
जाति धर्म के भेदभाव को,
वतन के रखवाले मत देखो।। तुम मंजिल, , , , ,
सुनील यादव (कवि एंव पत्रकार ) अयोध्या उत्तर प्रदेश संपर्क सूत्र - 9415506915