तट के किनारे देख रही हूँ दूर तक फैले विशालकाय अथाह गहरे समुद्र को .. शोर करती तीव्र वेग से उठती रेत से लथपथ लहरें हमारे जिस्म को भिगोती जैसे हमारे गले लग हमें अपने बाहुपाश में भरना चाहती है तीव्रता से अपना अधिकार जता शीघ्र ही हमें छू वापिस लौट जाती है और फिर […]
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तुम मंजिल पाने की सोचो, पांव के छाले मत देखो। राह में कांटा हो या पत्थर, ऐसे मतवाले मत देखो।। सुभाष, आजाद, भगत सा, गांधी बनने की सोचो।। उड़ जाएं बधाएं ऐसी, आंधी बनने की सोचो।। नजर हो चिड़िया की आंख पे, पेड़ निराले मत देखो।। तुम मंजिल, , , , , रूके न हम […]
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