लाइट्स कैमरा, एक्शन रवि यादव अभिनेता/ फ़िल्म निर्माता

Kfaaaina-Ravi Yadav

“लाइट्स कैमरा, एक्शन”

इन तीन शब्दों का आकर्षण आम जनमानस में बरसों से है क्यूँकि ये तीन शब्द प्रतीक हैं सपनीली दुनिया के, जहाँ चमकती लाइट्स हैं, भौतिकता से भरा जीवन है और शोहरत का तिलिस्म है। फ़िल्म की दुनिया और फ़िल्मी लोगों का जीवन इसलिए भी आकर्षण का केंद्र है क्यूँकि इसमें छोटी सी कामयाबी भी ज़्यादातर क्षेत्रों की बड़ी कामयाबियों से अधिक चमकीली है। मगर ये सिर्फ़ बाहरी आवरण है अंदर की सच्चाई कुछ और है इस चमक के पीछे अंधेरे का एक मुसलसल सिलसिला है जो बाहर से दिखाई नहीं देता। फ़िल्म लाइन का हिस्सा होने के नाते मैं अपना सामाजिक दायित्व समझता हूँ कि जो मेरा एक छोटा मोटा तजुर्बा है वो मैं यहाँ आप से साझा करूँ। ये सच है कि सिर्फ एक दो पेज में इस लाइन को परिभाषित कर पाना असम्भव है मगर आने वाले किसी भी नए कलाकार को सबसे ज़्यादा जिन जानकारियों की आवश्यकता होती है उन पर एक संक्षिप्त जानकारी यहाँ दी जा सकती है।
वैसे तो फ़िल्म लाइन में भी अनेक तरह के काम हैं जैसे अभिनय, गायकी, निर्देशन, लेखन, प्रोडक्शन, छायांकन मेकअप ,लाइट, कैमरा स्टूडियो, सेट डिज़ायनिंग एनिमेशन, वी.एफ़ एक्स, कोरियोग्राफी, आदि लेकिन सबसे ज़्यादा लोग अभिनय के लिए मुम्बई आते हैं, यानी एक्टर बनने। इसलिए आज यहाँ सिर्फ अभिनय क्षेत्र की ही बात कर रहा हूँ बाक़ी विषयों पर अगली कड़ी में बात की जाएगी। हर किसी व्यक्ति को हक़ है कि वो अपने सपने पूरे करने के लिए हरसंभव कोशिश करे। लेकिन बहुत ज़रूरी है कि जिस क्षेत्र में आप जाना चाह रहे हैं उसकी पूरी ज़मीनी जानकारी जुटा ली जाय। अगर कोई व्यक्ति परचूने की दुकान भी खोलता है तो पहले उस काम को विधिवत सीखता है मगर हमारी लाइन के बारे में पता नहीं क्यूँ ग़लतफ़हमी है कि कुछ आता हो या ना आता हो आप अभिनय तो कर ही लेंगे, या अगर सुंदर दिखते हैं तो अभिनय में काम मिलना बहुत आसान है वगैरहा वगैरहा। लेकिन ऐसा है नहीं अभिनय अपने आप में तपस्या है, कला साधना है। आपकी सुंदरता, लंबाई, हीरो जैसा डील डॉल आपका प्लस पॉइंट तो हो सकता है मगर काम दिलाने की गारंटी नहीं। काम पाने और उसे निभाने के लिए ज़रूरी है आपमें सशक्त अभिनय क्षमता का होना, जो मेहनत से और दिन रात के रियाज़ से आती है।
आप यदि अभिनेता/अभिनेत्री बनने का सोचते हैं तो ज़रूर सोचें, ये कोई असम्भव कार्य नहीं है लेकिन पहले उस काम को बारीकी से सीख लें। कुछ अर्धज्ञानी लोग ये कहते मिल जाएंगे कि अभिनय सिखाया नहीं जा सकता। मैं इस बात से पूर्णतः सहमत नहीं हूँ। ये माना कि कोई भी कला ईश्वरीय देन होती है मगर उसे सँवारना ज़रूरी होता है और उसके लिए ज़रूरी नहीं कि महँगे अभिनय स्कूल में लाख़ों रुपये बर्बाद किये जायें या किसी ठग को काम पाने के लिए पैसे दिए जायें। सबसे बेहतर है आप अपने आस पास देखें, ज़रूर कोई न कोई थियेटर ग्रुप मिल जाएगा, वहाँ आपको बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है। वहाँ आप सीख पाएँगे कि शब्दों का शुद्ध उच्चारण कैसे किया जाय। किसी भी अभिनेता की भाषा, उच्चारण शुद्ध होना बेहद ज़रूरी है उसके बिना वो कभी भी उम्दा कलाकार नहीं साबित हो सकता। रोल की तैयारी करने में जिन-जिन चीज़ों की आवश्यकता होती है वो सब आपको रंगमंच सिखाता है। रंगमंच से एक से एक बेहतर अभिनेता निकले हैं। अनुपम खेर, नसीरुद्दीन शाह, मनोज वाजपेयी, आशुतोष राणा, राजपाल यादव, रघुवीर यादव, नवाज़ सिद्दीकी जैसे अनेक उदाहरण हैं। तो सबसे पहले आप अपने आपको परखें कि आप कहाँ खड़े हैं और आपमें क्या क्या कमियाँ हैं, कमियाँ सबमें होती हैं उनसे घबराने या निराश होने के बजाय उन्हें मेहनत से उन्हें दूर करना चाहिए।
ये जो एक्टिंग सिखाने के नाम पर दुकाने खुल गई हैं जो लाखों रुपये ऐंठ लेती हैं आपको काम दिलाने का झांसा देकर, उनसे बचिए। वो आपको काम नहीं दिला पाएंगे उतना पैसा आप अपने आपको निखारने में लगाइए, डाँस सीखिए, हिंदी, इंग्लिश, उर्दू भाषओं का ज्ञान लीजिये, फाइटिंग सीखिए, अपने शरीर अपने लुक्स पर काम कीजिए आपके हाथ में जो मोबाइल है,फालतू की चैटिंग, सेटिंग छोड़कर उसका इस्तेमाल दुनिया का बेहतरीन सिनेमा देखने में कीजिए, ज़्यादा से ज़्यादा पढ़िए क्यूँकि किताबें आपको एक नज़रिया देती हैं। खुद को तैयार करके मुंबई शिफ्ट होइए। याद रखिये यहाँ एक से एक बेहतर अभिनेता से आपका मुकाबला होगा तो तैयारी भी बेहतरीन होनी चाहिए। यदि आपको हिंदी सिनेमा में जगह बनानी है तो मुम्बई ही उसके लिए सबसे उपयुक्त जगह है।
मुम्बई आकर काम के लिए लोगों से मिलिए जुलिए अनेक कास्टिंग एजेंसीज हैं उनसे अपना प्रोफ़ाइल शेयर कीजिए हर रोज़ यहाँ फ़िल्म्स/सीरियल्स के ऑडीशंस होते रहते हैं उन्हें अटेंड कीजिए, हो सकता है शुरू में आप बहुत अच्छा ना कर सकें लेकिन उस से घबराइए मत, रोज़ निकलिए, रोज़ ऑडिशन्स दीजिए कम से कम शुरुआती दिनों में तो ज़रूर क्यूँकि ऐसा करके आपमें आत्मविश्वास पैदा होगा, इंडस्ट्री को समझने का मौका मिलेगा और आपको अपने बारे में भी अंदाज़ा होगा कि आप किस तरह के रोल्स में ज़्यादा सूट करते हैं। एक बात और इस रोज़मर्रा की भागदौड़ में बहुत से अच्छे और हेल्पफुल लोग आपको मिलेंगे क्यूँकि इस लाइन में अच्छे लोग ज़्यादा हैं लेकिन कुछ ऐसे लोग भी टकराएंगे जो आपको ठग सकते हैं तो आप उन्हें पहचानेंगे कैसे और उनसे बचेंगे कैसे? इसका कोई पैमाना नहीं है आपको अपने विवेक से ही स्वयं को बचाना होगा लेकिन एक सलाह मेरी है कि यदि कोई व्यक्ति आपसे काम दिलाने के नाम पर पैसे मांगता हो तो बिना शक मान लीजिएगा कि वो आपको सौ प्रतिशत ठग रहा है। उस वक़्त आपको लालच भी आएगा कि मेरा कैरियर बन सकता है लेकिन इस लालच से बच जाइयेगा। मैंने बतौर अभिनेता और निर्माता जो समय फ़िल्म इंडस्ट्री में गुज़ारा है उसमें बहुत से लोगों को लुटते देखा है। हमारे यहाँ कुछ लोग बतौर आर्टिस्ट कॉर्डिनेटर काम करते हैं जो आपको अभिनय का काम दिलाने के नाम पर कुछ परसेंटेज आपकी फीस में से लेते हैं वो ठीक हैं क्योंकि वो निर्माताओं के आफ़िस जा जाकर आपके लिए काम ढूंढते हैं और अगर आपको काम मिलता है तो उसकी जो पेमेंट आपको मिलती है उसमें से वो अपनी परसेंटेज लेते हैं। लेकिन मैं फिर यहाँ लिख रहा हूँ कि काम दिलाने के नाम पर, रजिट्रेशन के नाम पर या आपके पैसे लेकर फ़िल्म शुरू कराने के नाम पर अगर कोई लाख़ों करोड़ों आपसे माँगता है तो उस से दूर ही रहें भले ही वो कितनी लुभावनी बातें करे।
इस विषय पर पूरी किताब लिखी जा सकती है लेकिन जितनी मुझे समझ है उसके आधार पर मैंने यहाँ संक्षिप्त में कुछ जानकारी आप सबसे शेयर की, शायद आप में से किसी के कुछ काम आ सके।
कृष्णा फाउंडेशन की इस बेहतरीन पहल “आईना” के लिए मैं दिल से बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ, मेरा सौभाग्य है कि कृष्णा फाउंडेशन का पहला शीर्षक गीत लिखने और बनाने का सौभाग्य मुझे मिला था और “KFA आईना” के पहले अंक एक हिस्सा होने का गर्व भी मुझे प्राप्त हुआ। आगे भी जहाँ कहीं KFA मुझे किसी क़ाबिल समझेगा मैं हाज़िर रहूँगा।

अनेक शुभकामनाओं व आभार सहित

रवि यादव
अभिनेता/ फ़िल्म निर्माता
मुंबई

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